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सामान्य विज्ञान

महत्त्वपूर्ण तथ्य–

♦ तंत्रिका कोशिका मानव शरीर की सबसे बड़ी कोशिका है।
♦ महाधमनी मानव शरीर की सबसे बड़ी धमनी है।
♦ मानव शरीर मेँ सर्वाधिक मात्रा मेँ पाया जाने वाला पदार्थ जल (55-60%) है।
♦ शुक्राणु मानव शरीर की सबसे छोटी कोशिका होती है। यह एक नर जनन कोशिका है।
♦ एड्रीनलीन हार्मोन को ‘करो या मरो’ हार्मोन भी कहा जाता है।
♦ हाइपोथेलेमस ग्रंथि को ‘सुपर मास्टर (Head Master)’ ग्रंथि कहा जाता है।
♦ जबड़े की हड्डी मानव शरीर की सबसे मजबूत हड्डी होती है।
♦ मानव शरीर की सबसे छोटी हड्डी स्टेपीज है जो कर्ण मेँ होती है।
♦ सबसे लम्बी हड्डी फीमर (जांघ मेँ) होती है।
♦ 4° से. तापक्रम पर जल का घनत्व अधिकतम होता है।
♦ बॉक्साइट एल्युमिनियम का प्रमुख खनिज होता है।
♦ रुधिर की कमी से एनीमिया रोग हो जाता है।
♦ विटामिन सी घाव भरने मेँ सहायक है।
♦ केले मेँ अनिषेक जनन पाया जाता है।
♦ तिलचिट्टा मेँ रुधिर रंगहीन होता है।
♦ तम्बाकू मेँ निकोटिन नामक विषैला पदार्थ होता है।
♦ मूत्र का पीला रंग यूरोक्रोम नामक वर्णक के कारण होता है।
♦ बीयर किण्वन से बनाई जाती है जबकि शराब आसवन से बनाई जाती है।
♦ परावर्तन के कारण हमेँ वस्तुएँ दिखाई देती हैँ।
♦ आसंजक बल के द्वारा लिफाफे पर डाक टिकट चिपकी रहती है।
♦ एन्थ्रेसाइट प्रकार का कोयला उत्तम गुणवत्ता का होता है। इसमेँ कार्बन सर्वाधिक मात्रा मेँ होता है।
♦ द्रव्यमान का मात्रक किलेग्राम तथा भार का मात्रक न्यूटन होता है।
♦ पारा, सिजियम, गैलियम द्रव धातु होते हैँ, शेष ठोस धातु होते हैँ।
♦ –40° सेन्टीग्रेड तथा –40° फॉरेनहाइट समान होते हैँ।
♦ सोयाबीन मेँ सर्वाधिक मात्रा मेँ प्रोटीन पाया जाता है।
♦ प्रोटीन की कमी से– क्वाशिओस्कारे तथा मेरेस्मस रोग हो जाते हैँ।
♦ सोडियम स्वतंत्र अवस्था मेँ जल उठता है, अतः इसे केरोसीन मेँ रखा जाता है।
♦ सफेद फास्फोरस को पानी मेँ रखा जाता है।
♦ चाँदी विद्युत का सर्वोत्तम चालक होता है।
♦ पृष्ठ तनाव के कारण पानी की बूँदे गोल हो जाती हैँ।
♦ राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी को मनाया जाता है।
♦ कार्बन डाइऑक्साइड गैस ग्रीन हाऊस प्रभाव के लिए प्रमुख उत्तरदायी गैस है।
♦ ओजोन मंडल पराबैँगनी किरणोँ को अवशोषित कर पृथ्वी के जीवोँ की रक्षा करता है।
♦ कार्बन डाइऑक्साइड का प्रयोग आग बुझाने के लिए किया जाता है।
♦ पहला हृदय प्रत्यारोपण डॉ. क्रिस्टियन बर्नार्ड द्वारा किया गया था।
♦ भारी जल परमाणु भट्टी मेँ मंदक के रूप मेँ प्रयुक्त होता है।
♦ एबी रूधिर वर्ग वाले मानव को सार्वत्रिक ग्राही तथा ओ रूधिर वर्ग वाले मानव को सार्वत्रिक दाता कहते हैँ।
♦ लाल रूधिर कणिकाओँ का निर्माण अस्थिमज्जा मेँ होता है तथा श्वेत रूधिर कणिकाओँ का निर्माण अस्थिमज्जा, प्लीहा व लसिका कोशिकाओँ मेँ होता है।
♦ रक्त का लाल रंग हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन मेँ मौजूद लौह तत्त्व के कारण होता है।
♦ क्लोरोफार्म का प्रयोग निश्चेतक (बेहोश करने वाला पदार्थ) के रूप मेँ किया जाता है।
♦ मानव शरीर मेँ 206 हड्डियाँ होती हैँ।
♦ टंगस्टन सबसे कठोर पदार्थ होता है।
♦ एंजाइम विशेष प्रकार के प्रोटीन होते हैँ।
♦ यकृत मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि होती है।
♦ लाल रुधिर कणिकाएँ केन्द्रक विहीन कोशिकाएँ होती हैँ।
♦ वायुमंडल मेँ सबसे अधिक मात्रा मेँ पाया जाने वाला तत्त्व नाइट्रोजन है।
♦ स्टैथोस्कोप से हृदय की धड़कनोँ को सुना जा सकता है।
♦ 0° केल्विन तापक्रम को परम शून्य तापमान कहते हैँ। –273° से. का केल्विन मेँ मान 0° केल्विन होता है।
♦ भू-परत मेँ सबसे अधिक मात्रा मेँ पाया जाने वाला तत्त्व ऑक्सीजन है।
♦ समतल दर्पण मेँ वस्तु का प्रतिबिम्ब समान दिखाई देता है जिसका उपयोग घरोँ मेँ किया जाता है।
♦ उत्तल दर्पण मोटर वाहन चालक उपयोग मेँ लेते हैँ।
♦ चिकित्सक कान, नाक, गले आदि के आंतरिक भागोँ की जाँच के लिए अवतल दर्पण का प्रयोग करते हैँ।
♦ सोडियम बाइकार्बोनेट को बैकिँग सोडा कहा जाता है।
♦ परमाणु बम नाभिकीय विखंडन पर आधारित है।
♦ लाल, हरा तथा नीला प्राथमिक रंग हैँ।
♦ इन्द्रधनुष मेँ बैँगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी तथा लाल रंग (बैँजानीहपीनाला) होते हैँ।
♦ सर्वाधिक तरंग दैर्ध्य लाल प्रकाश का तथा सबसे कम बैँगनी प्रकाश का होता है जबकि सर्वाधिक विचलन बैँगनी रंग का तथा सबसे कम लाल रंग का होता है।
♦ हाइड्रोजन परमाणु ही ऐसा परमाणु है जिसके नाभिक मेँ न्यूट्रॉन नहीँ होता।
♦ काँसा ताँबा तथा टिन का बना होता है, गन मैटल ताँबा, टिन तथा लैड का, पीतल ताँबा तथा जस्ते का तथा स्टेनलैस स्टील मेँ लौहा, क्रोमियम, कार्बन तथा निकल मिले होते हैँ।
♦ कोबाल्ट 60 का उपयोग कैँसर रोग मेँ, रेडियो समस्थानिक स्वर्ण 198 का उपयोग रक्त कैँसर के उपचार मेँ किया जाता है।
♦ कैडमियम का नाभिकीय रिएक्टर मेँ शृंखला अभिक्रिया के नियंत्रक के रूप मेँ उपयोग किया जाता है।
♦ सूर्य तथा हाइड्रोजन बम मेँ उत्सर्जित ऊर्जा संलयन प्रक्रिया के उदाहरण हैँ।
♦ वायरस जनित रोग— एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिसिएंसी सिँड्रोम), डेँगू ज्वर, पोलियो, चेचक, पीलिया (हिपैटाइटिस), रेबीज आदि।
♦ जीवाणु जनित रोग— तपेदिक (क्षय), प्लेग, डिप्थीरिया, कोढ़ (कुष्ठ), मोतीझरा, टिटनेस, निमोनिया, हैजा आदि।
♦ आनुवंशिक रोग— हीमोफीलिया, मंगोलिज्म, वर्णांधता आदि।
♦ शुद्ध जल का pH मान 7 होता है।
♦ 24 कैरेट स्वर्ण को शुद्ध स्वर्ण माना जाता है।
♦ मानव शरीर मेँ सबसे कठोर तत्त्व एनामिल (दाँतो पर) होता है।
♦ विटामिन ई चर्बी युक्त विटामिन है।
♦ भाप इंजन का आविष्कार जेम्स वॉट ने किया।
♦ पीने वाली शराब मेँ एथनॉल एल्कोहल होता है।
♦ मानव का तापमान 310 K या 36.9° C होता है।
♦ कच्चा तेल काला सोना कहलाता है।
♦ माध्यम के तापमान मेँ वृद्धि के साथ प्रकाश की गति बढ़ती है।
♦ डिस्क पर भंडारण हेतु किसी डाटा फाइल का आकार छोटा करने के लिए उसके संधारण को संपीड़न कहते हैँ।
♦ विटामिन के रक्त के स्कंदन मेँ (थक्का जमाने मेँ) सहायक विटामिन है।
♦ लसीकाणु (लिम्फोसाइट) कोशिका प्रतिरक्षी पैदा करती है।
♦ भारत ने अपना पहला अंतरिक्षयान आर्यभट्ट 1975 मेँ प्रक्षेपित किया।
♦ भारत की प्रथम जमीन से हवा मेँ मार करने वाली निम्न दूरी की मिसाइल त्रिशूल है।
♦ बल की इकाई डाइन है।
♦ सामान्य व्यक्ति की नब्ज की गति 70-80 के मध्य होती है।
♦ प्रकाश वर्ष मेँ दूरी मापी जाती है।
♦ रमन प्रभाव प्रकाश से संबंधित है।
♦ पारे का रासायनिक सूत्र Hg है।
♦ यदाकदा ऐसा अनुभव किया गया है कि थर्मस मेँ जब खोलता हुआ पानी डाला जाता है तो शीशा चटक जाता है, क्योँकि खोलता हुआ तरल पदार्थ अधिक दबाव डालता है।
♦ हवा मेँ ऑक्सीजन की मात्रा लगभग प्रतिशत 20 % है।
♦ सूर्य के प्रकाश से विटामिन डी प्राप्त होता है।
♦ गर्मी मेँ दूध मेँ वसा तत्त्वोँ की मात्रा मेँ कमी हो जाती है।
♦ बैटरी मेँ सल्फ्यूरिक एसिड का उपयोग किया जाता है।
♦ युवा व्यक्ति के दिल की धड़कन औसत प्रति मिनट 72 होती है।
♦ विद्युत बल्ब मेँ नाइट्रोजन गैस भरी जाती है।
♦ रात्रि के समय वृक्ष के नीचे सोना उपयुक्त नहीँ माना जाता है क्योँकि उस समय पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड गैस छोड़ते हैँ।
♦ एनीमिया रोग आयरन (लौह) की कमी से होता है।
♦ जल का रासायनिक सूत्र H²O है।
♦ स्वर्ण धातु पर हवा एवं ऑक्सीजन का प्रभाव न्यूनतम होता है।
♦ एक स्वस्थ मनुष्य अधिकतम कैलोरी की खपत फुटबॉल खेलते हुए करता है।
♦ नाभिकीय विखंडन मेँ ऊर्जा विमोचन रासायनिक ऊर्जा के रूप मेँ होता है।
♦ अस्थि और उपास्थि के निर्माण और अनुरक्षण के लिए कैल्शियम तत्त्व की मुख्य आवश्यकता होती है।
♦ प्रोटीँस मेँ आमतौर पर मिलने वाली एमिनो अम्लोँ की संख्य 20 होती है।
♦ हवाई जहाज का आविष्कार ओरविल एवं विलियम राइट ने किया।
♦ वैज्ञानिक थॉम्स एल्वा एडीसन के नाम सर्वाधिक आविष्कारोँ का पैटेण्ट हुआ है।
♦ रूस के अंतरिक्ष स्टेशन का नाम मीर है।
♦ फैदोमीटर समुद्र की गहराई नापने वाले यंत्र का नाम है।
♦ यदि किसी रेडियोएक्टिव तत्त्व का 75 प्रतिशत भाग 24 वर्ष मेँ विघटित होता है तो उस तत्त्व का अर्द्धायु काल 12 वर्ष होगा।
♦ प्लास्टर ऑफ पेरिस डी-हाइड्रेशन के कारण जमता है।
♦ ध्रुवण की घटना यह दर्शाती है कि प्रकाश तरंगे अनुप्रस्थ प्रकृति की होती हैँ।
♦ प्राकृतिक गैस के अवयव के रूप मेँ प्राप्त होने वाली प्रमुख अक्रिय गैस हीलियम है।
♦ डॉ. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम को भारतीय प्रक्षेपास्त्रोँ के पूर्ण स्वदेशी कार्यक्रम का निर्माता माना जाता है।
♦ ध्वनि की तीव्रता को डेसीबल मेँ मापा जाता है।
♦ ग्लोबल वार्मिँग ग्रीन हाऊस का प्रभाव है।
♦ श्री हरिकोटा स्थान भारत के रॉकेट प्रक्षेपण के लिए प्रसिद्ध है।
♦ ओजोन मंडल मेँ छिद्र के लिए उत्तरदायी गैस क्लोरोफ्लोरो कार्बन है।
♦ प्रथम भारतीय वैज्ञानिक जगदीशचन्द्र बसु ने विश्व मेँ लघु तरंग रेडियो का आविष्कार किया।
♦ कम्प्यूटर के निर्माण मेँ सिलिकॉन की आवश्यकता होती है।
♦ कारखानोँ से निकलने वाले प्रदूषित धुएँ से दमा रोग होता है।
♦ रिएक्टर स्केल का प्रयोग भूकम्प को नापने मेँ होता है।
♦ अनियंत्रित औद्योगिकीकरण से अम्ल वर्षा होती है। यह मुख्य रूप से नाइट्रस और सल्फर डाइऑक्साइड के कारण होती है।
♦ आमतौर से श्वसनीय शोथ रोग पेशी खिँचाव की दशाओँ से सम्बद्ध होता है।

♦ भौतिक परिवर्तन से पदार्थ के भौतिक गुणोँ मेँ परिवर्तन होता है। यह परिवर्तन अस्थाई एवं उत्क्रमणीय होता है। भौतिक परिवर्तन के उदाहरण— सोने का पिघलना, काँच का टूटना, शक्कर का पानी मेँ घुलना, आश्वन, संघनन, उर्ध्वपातन आदि।
♦ रासायनिक परिवर्तन स्थाई एवं सामान्यतः अनुत्क्रमणीय होते हैँ। उदाहरण— कोयले का जलना, लोहे पर जंग लगना, दूध का दही बनना, अवक्षेपण, किण्वन, दहन आदि।
♦ भौतिक राशियोँ के मात्रक–
• दूरी — मीटर
• भार/बल — न्यूटन
• कार्य/ऊर्जा — जूल
• समय — सैकण्ड
• तरंग दैर्ध्य — एंग्स्ट्राम
• आवृत्ति — कम्पन प्रति सै. (हर्ट्ज)
• विभवान्तर — वोल्ट
• विद्युत आवेश — कूलाम
• शक्ति — वाट
• द्रव्यमान — किलोग्राम
• ताप — केल्विन
• शोर (ध्वनि) की तीव्रता — डेसीबल (dB)
• विद्युत धारा — एम्पीयर
• प्रतिरोध — ओम
• दाब — पास्कल
• विद्युत धारिता — फैरड।
♦ घरोँ मेँ भेजी जाने वाली प्रत्यावर्ती धारा की वोल्टता 220 वोल्ट तथा आवर्ती 50 चक्र प्रति सैकण्ड या हर्ट्ज होती है।
♦ घरोँ मेँ लगे विद्युत उपकरण बल्ब, पंखा, दूरदर्शन, हीटर, रेफ्रीजरेटर आदि को समान्तर क्रम मेँ लगाया जाता है।
♦ विद्युत परिपथ मेँ धारा प्रवाहित करने पर प्रति सैकण्ड किये गये कार्य या कार्य करने की दर को विद्युत शक्ति कहते हैँ। विद्युत शक्ति का मात्रक जूल प्रति सैकण्ड या वाट है।
♦ वाट शक्ति का छोटा मात्रक है। 1 किलोवाट = 1000 वाट, 1 मेगावाट = 1000000 वाट, 1 अश्वशक्ति (Horse Power) = 746 वाट।
♦ यदि किसी बल्ब पर 100 वाट तथा 220 वोल्ट लिखा है तो इसका तात्पर्य है कि बल्ब 220 विभवान्तर पर प्रयुक्त करने पर 100 वाट शक्ति व्यय करेगा अर्थात् 1 सैकण्ड मेँ 100 जूल ऊर्जा खर्च होगी।
♦ विद्युत ऊर्जा को किलोवाट घण्टा मेँ मापा जाता है। 1 किलोवाट घण्टा को एक यूनिट कहते हैँ। एक किलोवाट घण्टा (KWh) = 1000 वाट x घण्टा = 1000 X 60 X 60 वाट सैकण्ड = 3.6 x 10&sup6;
♦ ऊर्जा रूपान्तरित करने वाले कुछ उपकरण –
• डायनमो — यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा मेँ
• ट्यूब लाइट — विद्युत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा मेँ
• विद्युत मोटर — विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा मेँ
• विद्युत बल्ब — विद्युत ऊर्जा को प्रकाश एवं ऊष्मा ऊर्जा मेँ
• लाऊडस्पीकर — विद्युत ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा मेँ
• सोलर सेल — सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा मेँ
• मोमबत्ती — रासायनिक ऊर्जा को प्रकाश एवं ऊष्मा ऊर्जा मेँ
• माइक्रोफोन — ध्वनि ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा मेँ
• विद्युत सेल — रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा मेँ
• सितार — यांत्रिक ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा मेँ।
♦ फ्यूज तार एक पतला तार होता है जे अल्प गलनांक तथा कम प्रतिरोध वाले मिश्र धातु (टिन व सीसा) का बना होता है।
♦ टेलीफोन, टेलीग्राफ, विद्युत घण्टी तथा विद्युत क्रेन विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव पर कार्य करते हैँ।
♦ हीटर प्लेट प्लास्टर ऑफ पेरिस एवं चीनी मिट्टी के मिश्रण से बनाई जाती है जो विद्युत की कुचालक होती है।
♦ हीटर मेँ तापन तन्तु नाइक्रोम, केलोराइट, क्रोमेल आदि का बना हुआ प्रयुक्त किया जाता है।
♦ विद्युत स्त्री या प्रेस मेँ तापन तन्तु नाइक्रोम अभ्रक के टुकड़ोँ मेँ रखा जाता है।
♦ विद्युत टोस्टर जो डबल रोटी को सेकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है, मेँ तापन तन्तु नाइक्रोम तार का बना होता है।
♦ रेफ्रिजरेटर न्यून दाब पर द्रव के वाष्पन सिद्धान्त पर कार्य करता है।
♦ रेफ्रिजरेटर मेँ अमोनिया, मिथाइल क्लोराइड, क्लोरोफ्लोरो कार्बन (फ्रीऑन) एवं हाइड्रोफ्लोरो कार्बन प्रशीतक के रूप मेँ काम मेँ लाये जाते हैँ।
♦ किसी चालक मेँ विद्युत धारा प्रवाहित करने पर वह गर्म हो जाता है इसे विद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव कहते हैँ।
♦ हीटर, प्रेस, विद्युत केतली, टोस्टर, ऑवन आदि युक्तियाँ धारा के ऊष्मीय प्रभाव पर कार्य करती हैँ। इन सभी युक्तियोँ मेँ प्रायः नाइक्रोम जैसी मिश्र धातु के तापन तन्तु काम मेँ लाये जाते हैँ।
♦ बैसेमर विधि से फफोलेदार ताँबा प्राप्त होता है।
♦ अपरिस्कृत लोहा ढलवां लोहा या कच्चा लोहा कहलाता है जबकि पिटवा लोहा, लोहे का शुद्ध रूप होता है।
♦ सल्फर का उपयोग मुख्य रूप से गंधक का अम्ल, बारूद, औषधी एवं कीटनाशी के रूप मेँ किया जाता है।
♦ फॉस्फोरस का उपयोग दियासलाई उद्योग, मिश्रधातु तथा कीटनाशी यौगिकोँ के निर्माण मेँ किया जाता है जबकि इसके यौगिक उर्वरक के रूप मेँ प्रयुक्त होते हैँ।
♦ वायुमण्डल की ओजोन परत सूर्य की किरणोँ से आने वाली हानिकारक पराबैँगनी किरणोँ का अवशोषण करती है।
♦ गन्धक के अम्ल का उपयोग डिटर्जेन्ट उद्योगोँ मेँ, विद्युत बैटरी तथा प्रयोगशाला मेँ बहुतायत से किया जाता है।
♦ हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का उपयोग क्लोरीन गैस के निर्माण तथा विरंजक चूर्ण बनाने मेँ किया जाता है।
♦ सीमेन्ट मेँ चूना, सिलिका, ऐलूमिना, मैग्नीशियम ऑक्साइड तथा फेरिक ऑक्साइड आदि होते हैँ।
♦ प्लास्टर ऑफ पेरिस कैल्सियम का अर्द्धहाइड्रेट होता है जो खिलौने, मूर्तियाँ तथा प्लास्टर के काम आता है।
♦ क्रिस्टलीय अपररूपोँ मेँ हीरा, ग्रेफाइट एवं फुलरीन प्रमुख हैँ।
♦ हीरा अत्यधिक कठोर, ताप एवं विद्युत का कुचालक होता है।
♦ ग्रेफाइट नर्म व चिकना, ताप एवं विद्युत का सुचालक होता है।
♦ एल्केनोँ के पॉली क्लोरोफ्लोरो व्युत्पन्नोँ को क्लोरो–फ्लुओरो कार्बन या फ्रीऑन कहते हैँ। फ्रीऑन का उपयोग प्रशीतक के रूप मेँ किया जाता है।
♦ संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) का उपयोग ईंधन के रूप मेँ तथा महानगरोँ मेँ चलने वाले वाहनोँ मेँ पेट्रोल तथा डीजल के विकल्प के रूप मेँ किया जा रहा है।
♦ प्राकृतिक रबर आइसोप्रीन का बहुलक होता है।
♦ प्राकृतिक रबर को गंधक के साथ गर्म करना वल्कीनीकरण कहलाता है।
♦ साबुन एवं अपमार्जक निर्माण की क्रियाविधि भिन्न–भिन्न है। अपमार्जक कठोर जल के साथ भी अच्छे परिणाम देते हैँ।
♦ कीटोँ को मारने या प्रतिकर्षित करने के लिए प्रयुक्त रसायनोँ को कीटनाशी कहते हैँ।

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